- मारना चाहते हो तो बुरी इच्छाओं को मरो |
- जितना चाहते हो तो क्रोध और त्रिछ्नाओं को जीतो |
- खांना चाहते हो तो क्रोध को खाओ |
- पीना चाहते हो तो इश्वर भक्ति का शर्बत पीओ |
- पहिनना चाहते हो तो नेकी का जामा पहनो |
- देना चाहते हो तो नीची निगाह करके दो और भूल जाओ |
- लेना चाहते हो तो माता पिता और गुरु का आशीर्वाद लो |
- जाना चाहते हो तो सत्संगों एवं स्वास्थ्यप्रद स्थानों पर जाओ |
- आना चाहते हो तो दुखियों की सहायता को आओ |
- छोड़ना चाहते हो तो पाप, घमण्ड और अत्याचार को छोड़ो |
- बोलना चाहते हो तो सत्य और मीठे वचन बोलो |
- बनाना चाहते हो तो धर्मशाला, पाठशाला, कुएँ और तलाब बनाओ |
- खरीदना चाहते हो तो प्रेम का सोदा खरीदो |
- तोलना चाहते हो तोबात को तोलो |
- देखना चाहते हो तो अपनी बुराई को देखो |
- सुनना चाहते हो तो इश्वर की प्रशंसा और दुखियों की पुकार को सुनो |
- भागना चाहते हो तो पराई निन्दा और पराई स्त्रियों से भागो |
Tuesday, June 28, 2011
Swarag ki Sidhi
Monday, June 27, 2011
Geeta Saar
Shri Krishan Give Geeta Saar to Arjun:
- क्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो ? किससे व्यर्थ डरते हो ? कौन तुम्हे मार सकता है ? आत्मा न पैदा होती है न मरती है |
- जो हुआ, वो अच्छा हुआ, जो हो रहा है , वो अच्छा हो रहा है | जो होगा अच्छा होगा, वो भी अच्छा होगा | तुम भूत का पश्चाताप न करो | भविष्य की चिन्ता न करो | वर्तमान चल रहा है |
- तुम्हारा क्या गया , जो तुम रोते हो ? तुम क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया ? तुमने क्या पैदा किया था , जो नाश हो गया ? न तुम कुछ लेकर आये , जो लिया यहीं से लिया , जो दिया यही से दिया | जो लिया इसी (भगवान) से लिया | जो दिया , इसी को दिया | खाली हाथ आए , खाली हाथ चले | जो आज तुम्हारा है वो कल किसी और का था ,परसों किसी और का होगा | तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो | बस यह प्रसंता ही तुम्हारे दुखों का कारण है |
- परिवर्तन ही संसार का नियम है | जिसे तुम मृत्यु समझते हो , वही तो जीवन है | एक छण में तुम करोड़ो के स्वामी बन जाते हो, दुसरे ही छण दरिद्र हो जाते हो | मेरा - तेरा , छोटा - बड़ा , अपना - पराया मन से मिटा दो , विचार से हटा दो , फिर अब तुम्हारा है, तुम सबके हो |
- न यह शरीर तुम्हारा है , न तुम शरीर के हो | यह अग्नि , वायु , पृथ्वी , आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा | परन्तु आत्मा स्थिर है , फिर तुम क्या हो ?तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो | यह सब से उत्तम सहारा है | जो इसके सहारे को जानता है , वह भय , चिन्ता शोक से सर्वदा मुक्त है |
- जो कुछ तू करता है , उसे भगवान को अर्पण करता चल | इसी में तू सदा जीवन मुक्त अनुभव करेगा ||
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