Tuesday, December 9, 2025

आजा अम्बिके आजा अम्बिके(Aaja Ambike)

 

आजा अम्बिके आजा अम्बिके

कर लइए माँ पुत गल्लां जमाने कोलों लुक छुप के

किसे नु नीं दसनी

 किसे नु नीं माँ,

जय हो आजा अम्बिके कर लईए मां पुत गल्लां……

 

चल माईए चल पर्वत उते 

पर्वत उते शीतल रुते 

पत्थरां उत्ते बह लईए अपनी 

कह लइये,

 किसे नु नीं दसनी 

आजा अम्बिके कर लईए

 

चल माइए चल बोड़ी कंडे

जित्थे कुदरत अमृत वंडे

सारी थकावट ले जाएगी

ठण्ड कलेजे पे जाएगी

आजा अम्बिके कर लईए-

 

चल चलिए माँ गुफा दे अन्दर 

जिस थां तेरा सोहणा मन्दिर 

चोला बसन्ती रंग लवांगा

नाम दी मस्ती मंग लवांगा

किसे नु नीं दसनी माँ-3

आजा अम्बिके कर लईये मां पुत्त गल्ला 

 

चल माइये जित्थे कोई न आवे

शीशे विच कोई फेर न पावे

देख के कोई होकां भरे न

किसे नु नीं दसनी, माँ

 

आजा अम्बिके कर लईए माँ पुत गल्ला 

आज अम्बिके कर लईए मां पूत गल्ला,

जमाने कोलों लुक छुप के 

 

Monday, December 8, 2025

सावन की बरसे बदरिया(Sawan ki barse badariya)

 

सावन की बरसे बदरिया, माँ की भीगी चुनरिया ll
भीगी चुनरिया माँ की, भीगी चुनरिया ll
सावन की बरसे बदरिया


लाल चोला मईया का, चम चम चमके
माथे की बिंदिया भी, दम दम दमके ll
हाथों में झलके मुंदरिया, माँ की भीगी चुनरिया,
सावन की बरसे बदरिया

छाई हरियाली झूमे, अम्बुआ की डाली
हो के मतवाली कुके, कोयलिया काली ll
बादल में कड़के बिजूरिया, माँ की भीगी चुनरिया,
सावन की बरसे बदरिया


उँचा भवन तेरा, उँचा है डेरा
कैसे चढ़ूँ पावों, फिसले है मेरा ll
टेढ़ी-मेढ़ी है डगरिया, माँ की भीगी चुनरिया,
सावन की बरसे बदरिया ||


काली घटा पानी, भर भर के लाई
झूला झूले, वैष्णो माई ll
चँचल पे माँ की नज़रिया, माँ की भीगी चुनरिया

सावन की बरसे बदरियामाँ की भीगी चुनरिया ll

भीगी चुनरिया माँ कीभीगी चुनरिया ll
सावन की बरसे बदरिया