Sunday, June 26, 2011

Aarti Shree Jagdishwar ji ki

ॐ जय जगदीश हरे, प्रभू  जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट  , छिन में दूर करे || ॐ 
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का |
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का || ॐ
मात पिता तुम मेरे , शरण गहूं  मैं किस की |
तुम बिन और न दूजा , आस करूं जिसकी  || ॐ
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तरयामी |
पारब्रहम परमेश्वर, तुम सब के  स्वामी || ॐ 
तुम करूणा के सागर , तुम पालन करता |
मैं मूर्ख खल कामी, कृपा करो भरता || ॐ 
तुम हो एक अगोचर , सब क प्राणपति  |
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति || ॐ 
दीन बन्धु दुःख हर्ता, तुम ठाकुर मेरे |
अपने हाथ उठाओ, दुआर पड़ा मैं तेरे  ||ॐ
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा || ॐ
प्रेम सभा जन तुमको, निशदिन ही ध्यावे|
पार लगा दो नैया, येही अरज गावे || ॐ
प्रभू जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, मन वांछित फल पावे || ॐ

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