मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मय उतारो ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
कहाँ यहाँ देवों का नंदन,
मलयाचल का अभिनव चन्दन ।
मेरे उर के उजड़े वन में करुणामयी विचरो ॥
मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मय उतारो ।
नहीं कहीं कुछ मुझ में सुन्दर,
काजल सा काला यह अंतर ।
प्राणों के गहरे गह्वर में ममता मई विहरो ॥
मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मय उतारो ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
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