Thursday, December 11, 2025

मेरे मन के अंध तमस में (Antardhwani)

 

मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मय उतारो

जय जय माँ, जय जय माँ

कहाँ यहाँ देवों का नंदन,

मलयाचल का अभिनव चन्दन

मेरे उर के उजड़े वन में करुणामयी विचरो

मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मय उतारो

 

नहीं कहीं कुछ मुझ में सुन्दर,

काजल सा काला यह अंतर

प्राणों के गहरे गह्वर में ममता मई विहरो

मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मय उतारो

जय जय माँ, जय जय माँ

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