Wednesday, June 29, 2011

Aarti Shiv ji Ki


ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ||
ब्रह्मा- विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा || ॐ
एकानन चतुरानन पंचानन राजे |
हंसासन गरुडासन वृषवाहन सजे || ॐ 
दो भुज चार चतुर्भुज दशभुज अति सोहे |
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे || ॐ  
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी |
चन्दन मृगमद सोहे भोले शुभकारी || ॐ
श्वेताम्बर  पीताम्बर बाघाम्बर अंगे |
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे || ॐ 
कर के मध्य कमंडल चक्कर  त्रिशूल धर्ता  ||
जग करता जग भरता जग पालन करता || ॐ 
ब्रह्मा , विष्णु सदा शिव जानत अविवेका |
प्रणवाक्षर के  मध्य तीनों ही एक || ॐ 
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे |
 कहत शिवानन्द स्वामी मन वांछित फल पावे || ॐ

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