Saturday, February 26, 2022

Shiv Tandav Stotram


 

जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावित स्थले

गलेऽव लम्ब्य लम्बिताम भुजंग तुंग मालिकाम्‌ |

डमड्ड मड्ड मड्ड मन्नी नाद वड्ड मर्वयम

चकार चंडतांडवम तनोतु नः शिवः शिवम || 1 ||


जटा कटा हसम भ्रमम भ्रमन्नि लिंपनिर्झरी

विलोलवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि ||

धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ल ललाट पट्टपावके

किशोर चंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममम || 2 ||


धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधु बंधुर-

स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मान मानसे ||

कृपा कटाक्ष धारणी निरुद्ध दुर्धरापदि

कवचिद दिगम्बरे मनो विनोद मेतु वस्तुनि || 3 ||


जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणा मणिप्रभा-

कदंब कुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्व धूमुखे ||

मदांध सिंधु रस्फुरत्व गुत्तरीय मेदुरे

मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि || 4 ||


सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-

प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रि पीठभूः ||

भुजंगराज मालया निबद्ध जाटजूटकः

श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः || 5 ||


ललाट चत्वरज्वलद्धनंजय स्फुरिगभा-

निपीत पंचसायकम निमन्निलिंप नायम्‌ ||

सुधा मयुख लेखया विराज मानशेखरं

महा कपालि संपदे शिरोजया लमस्तू नः || 6 ||


कराल भाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल-

द्धनंजया धरीकृत प्रचंड पंचसायके ।

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्र चित्र पत्रक-

प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम || 7 ||


नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्ध रस्फुर-

त्कुहु निशीथि नीतमः प्रबंध बंधु कंधरः ||

निलिम्प निर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः

कला निधान बंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः || 8 ||


प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंच कालि मच्छटा-

विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंध कंधरम्‌ ||

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे || 9 ||


अखर्व सर्वमंगला कला कदम्बमंजरी-

रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ||

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं

गजांत कांध कांतकं तमंत कांतकं भजे || 10 ||


जयत्वद भ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंग मश्वसद,

विनिर्ग मक्र मस्फुरत्कराल भाल हव्यवाट्,

धिमिन्ध मिधि मिन्ध्व नन्मृदंग तुंगमंगल-

ध्वनि क्रम प्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः || 11 ||


दृषद्विचित्र तल्पयोर्भुजंग मौक्तिकम स्रजो-

र्गरिष्ठरत्न लोष्टयोः सुहृद्विपक्ष पक्षयोः ||

तृणार विंद चक्षुषोः प्रजा मही महेन्द्रयोः

समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे || 12 ||


कदा निलिं पनिर्झरी निकुज कोटरे वसन्‌

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

विमुक्त लोल लोचनो ललाम भाल लग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌ || 13 ||


निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फ निर्भक्षरन्म धूष्णिका मनोहरः ||

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनीं महनिशं

परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः || 14 ||


प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्ट सिद्धि कामिनी जनावहूत जल्पना ||

विमुक्त वाम लोचनो विवाह कालिक ध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ || 15 ||


इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं

पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌ ||

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं

विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम || 16 ||


पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं

यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ||

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां

लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः || 17 ||


|| इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ||

No comments:

Post a Comment