Thursday, June 30, 2011

Om ki Mehima


ओम है जीवन हमारा -- ओम प्राणधार है,
ओम है करता विधाता -- ओम पालनहार है ,
ओम है दुःख का विनाशक -- ओम सर्वाधार है , 
ओम है बल तेजधारी , ओम करूणानन्द है ,
ओम सब का पूज्य  है-- हम ओम का पूजन करें ,
ओम के ही ध्यान  से  हम शुद्ध अपना मन करें ,
ओम के गुरु मन्त्र जपने से रहेगा शुद्ध मन ,
दिन प्रतिदिन बुधि बढ़ेगी, धर्म में होगी लगन ,
ओम क जप से हमारा ज्ञान बढ़ता जाएगा ,
अंत में यह ओम हम को मुक्ति तक पहुँचाएगा || इति |||

Wednesday, June 29, 2011

Aarti Shiv ji Ki


ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ||
ब्रह्मा- विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा || ॐ
एकानन चतुरानन पंचानन राजे |
हंसासन गरुडासन वृषवाहन सजे || ॐ 
दो भुज चार चतुर्भुज दशभुज अति सोहे |
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे || ॐ  
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी |
चन्दन मृगमद सोहे भोले शुभकारी || ॐ
श्वेताम्बर  पीताम्बर बाघाम्बर अंगे |
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे || ॐ 
कर के मध्य कमंडल चक्कर  त्रिशूल धर्ता  ||
जग करता जग भरता जग पालन करता || ॐ 
ब्रह्मा , विष्णु सदा शिव जानत अविवेका |
प्रणवाक्षर के  मध्य तीनों ही एक || ॐ 
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे |
 कहत शिवानन्द स्वामी मन वांछित फल पावे || ॐ

Tuesday, June 28, 2011

Swarag ki Sidhi

  •  मारना चाहते हो तो बुरी इच्छाओं  को  मरो |
  • जितना चाहते हो तो क्रोध और त्रिछ्नाओं को जीतो |
  • खांना चाहते हो तो क्रोध को खाओ |
  • पीना चाहते हो तो इश्वर भक्ति का शर्बत पीओ |
  • पहिनना चाहते हो तो नेकी का जामा पहनो |
  • देना चाहते हो तो नीची निगाह करके दो और भूल जाओ |
  • लेना चाहते हो तो माता पिता और गुरु का आशीर्वाद लो |
  • जाना चाहते हो तो सत्संगों एवं स्वास्थ्यप्रद स्थानों पर जाओ |
  • आना चाहते हो तो दुखियों की सहायता को आओ |
  • छोड़ना चाहते हो तो पाप, घमण्ड और अत्याचार  को छोड़ो |
  • बोलना चाहते हो तो सत्य और मीठे वचन बोलो |
  • बनाना चाहते हो तो धर्मशाला, पाठशाला, कुएँ और तलाब बनाओ |
  • खरीदना चाहते हो तो प्रेम का सोदा खरीदो |
  • तोलना चाहते हो तोबात को तोलो |
  • देखना चाहते हो तो अपनी बुराई को देखो |
  • सुनना चाहते हो तो इश्वर की प्रशंसा और दुखियों की पुकार को सुनो |
  • भागना चाहते हो तो पराई निन्दा और पराई  स्त्रियों से भागो |
नोट :  यदि इतने कामों से सुख, शांति और अन्त में स्वर्ग न मिले तो भगवान के दरबार में अपील कीजिए \ आपकी अवश्य जीत होगी ||

Monday, June 27, 2011

Geeta Saar

Shri Krishan Give Geeta Saar to Arjun:
  •  क्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो ?  किससे व्यर्थ डरते हो ? कौन तुम्हे मार सकता है  ? आत्मा न पैदा होती है न मरती है |
  •  जो हुआ, वो अच्छा हुआ, जो हो रहा है , वो अच्छा हो रहा है | जो होगा अच्छा होगा, वो भी अच्छा होगा | तुम भूत का पश्चाताप न करो | भविष्य की चिन्ता न करो | वर्तमान चल रहा है |
  • तुम्हारा क्या गया , जो तुम रोते हो ? तुम क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया ? तुमने क्या पैदा किया था , जो नाश हो गया ? न तुम कुछ लेकर आये , जो लिया यहीं से लिया , जो दिया यही से दिया | जो लिया इसी (भगवान) से लिया | जो दिया , इसी को दिया | खाली हाथ आए , खाली हाथ चले | जो आज तुम्हारा है वो कल किसी और का था ,परसों किसी और का होगा | तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो | बस यह प्रसंता ही तुम्हारे दुखों  का कारण है |
  • परिवर्तन ही संसार का नियम है | जिसे तुम मृत्यु समझते हो , वही तो जीवन है | एक छण में तुम करोड़ो के स्वामी बन जाते हो, दुसरे ही छण दरिद्र हो जाते हो | मेरा - तेरा , छोटा - बड़ा , अपना - पराया मन से मिटा दो , विचार से हटा दो , फिर अब तुम्हारा है, तुम सबके हो |
  • न यह शरीर तुम्हारा है , न तुम शरीर के हो | यह अग्नि , वायु , पृथ्वी , आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा | परन्तु आत्मा स्थिर है , फिर तुम क्या हो ?तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो | यह सब से उत्तम सहारा है | जो इसके सहारे को जानता है , वह भय , चिन्ता शोक से सर्वदा मुक्त है |
  • जो कुछ तू करता है , उसे भगवान को अर्पण करता चल | इसी में तू सदा जीवन मुक्त अनुभव करेगा ||

Sureya Gyatri Mahamantra



ॐ आदित्याय विद मेह सहस्त्र किरण आय  धीमहि  तन्नो सूर्य : प्रचोदयात |||

Om  aadityay  wid  meh shastr  kiran ay dhimahi tanno  Sureya prachodeyat ||

Hanumanji Wallpapers

Sunday, June 26, 2011

Aarti Shree Jagdishwar ji ki

ॐ जय जगदीश हरे, प्रभू  जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट  , छिन में दूर करे || ॐ 
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का |
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का || ॐ
मात पिता तुम मेरे , शरण गहूं  मैं किस की |
तुम बिन और न दूजा , आस करूं जिसकी  || ॐ
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तरयामी |
पारब्रहम परमेश्वर, तुम सब के  स्वामी || ॐ 
तुम करूणा के सागर , तुम पालन करता |
मैं मूर्ख खल कामी, कृपा करो भरता || ॐ 
तुम हो एक अगोचर , सब क प्राणपति  |
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति || ॐ 
दीन बन्धु दुःख हर्ता, तुम ठाकुर मेरे |
अपने हाथ उठाओ, दुआर पड़ा मैं तेरे  ||ॐ
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा || ॐ
प्रेम सभा जन तुमको, निशदिन ही ध्यावे|
पार लगा दो नैया, येही अरज गावे || ॐ
प्रभू जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, मन वांछित फल पावे || ॐ

Saturday, June 25, 2011

Ganpati Aarti


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा |
माता जाकी पार्वती पिता महादेव: ||
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा |
लड्डूं का भोग लगे संत करे सेवा || जय गणेश ....
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी |
मस्तक सिन्दूर सोहे मूसे की सवारी || जय गणेश ....
आन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया |
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया || जय गणेश ....
दीनन की लाज रखो शंभू सुतावारी |
कामना को पूरी करो जाओं बलिहारी || जय गणेश ....



Jai ganesh jai ganesh, Jai ganesg deva
Mata jaki parwati ,Pita maha deva

Ek dant daya want ,Char bhuuja dhari  
Mathe sindor shoye ,Muse ki sawari
 
Pan chadhe Phool Chadhe , Aur Chadhe Mewa
Laduan ko bhog lage , Sant kare seva

Jai ganesh jai ganesh , Jai ganesg deva
Mata jaki parwati , Pita maha deva

Andhan ko aankh det , Kodhin ko kaya
Bajhan ko purta det, Nirdhan ko maya


Jai ganesh jai ganesh , Jai ganesg deva
Mata jaki parwati, Pita maha deva



GANESH BHAJAN: JAI GANESH DEVA AARTI
SINGER: ANURADHA PAUDWAL



 

Friday, June 24, 2011

Ganesh Vandna

 ॐ गणेशाय: नमः 

गजानन कर दो बेड़ा पार, आज हम तुम्हे मनाते हैं |
तुम्हे मनाते हैं गजानन, तुम्हे मनाते हैं ||
सब से पहले तुम्हे मनावें , सभी बीच में तुम्हे बुलावें|
गणपति आन पधारो, हम तो तुम्हे बुलाते हैं ||
आओ पार्वती के लाला, मूषक वाहन सूंड- सून्डाला|
जपें तुम्हारे नाम की माला, ध्यान लगाते हैं ||
उमापति शंकर क प्यारे, तू भक्तों के काज संवारे |
बड़े-बड़े पापी तारे, जो शरण में आते हैं ||
लड्डू पेड़ा भोग लगावें, पान सुपारी पुष्प चढ़ावे |
हाथ जोड़ के करें वंदना, शीश झुकाते हैं ||
सब भक्तों ने टेक लगाई, सब ने मिलकर महिमा गाई |
रिधि सीधि संग ले आओ, हम भोग लगाते हैं ||

Thursday, June 23, 2011

God Promise

  • मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख , तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना |
  • मेरे लिए खर्च करके तो देख, कुबेर के भंडार न खोल दूँ तो कहना |
  • मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख, कृपा न बरसे तो कहना |
  • मेरी तरफ आ कर तो देख, तेरा ध्यान न रखो तो कहना |
  • मेरी बातें लोगों से करके तो देख, तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना |
  • मेरे चरित्रों का मनन करके तो देख, ज्ञान क मोती तुझ में न भर दूँ तो कहना |
  • मुझे अपना मददगार बनाकर तो देख, तुझे सब की गुलामी से न छुड़ा दूँ तो कहना |
  • मेरे लिए आंसू बहाकर तो देख, तेरे जीवन में आनन्दके सागर न भर दूँ तो कहना |
  • मेरे लिए कुछ बन कर तो देख, तुझे कीमती न बना दूँ तो कहना |
  • मेरे मार्ग पर निकल कर तो देख, तुझे शान्ति दूत न बना दूँ तो कहना |
  • स्वयं को न्योछावर करके तो देख, तुझे मशहूर न करा दो तो कहना |
  • मेरा कीर्तन तो करके देख, जगत का विस्मरण न करा दूँ तो कहना |
  • तू मेरा बन क तो देख, हर एक को तेरा न बना दूँ तो कहना ||
भगवान् श्री कृष्ण 

Wednesday, June 22, 2011

Anmol Vachan


  • जब आप अच्छाई करोगे तो लोग आपको खुदगर्ज कहेंगे , फिर भी अच्छाई   करो ||
  • आज जो अच्छाई करोगे कल  लोग भूल जायेंगे , फिर भी अच्छाई   करो ||
  • आप की ईमानदारी और दिल की सफाई से दुश्मन लाभ उठा सकते हैं ,  फिर भी ईमानदार बनो और दिल साफ़ रखो ||
  • महानतम विचरों वाले महानतम व्यक्ति को तुच्छ विचरों वाले तुच्छ व्यक्ति मार सकते हैं, फिर भी महान विचरों को धारण करो ||

    स्वामी विवाकानंद जी 

Wednesday, June 15, 2011

Maha Mrityunjaya Mantra

                                  ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम 
                 उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योमुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!

महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद

इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।

                                            महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

                                त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला ;कर्मकारक।
                                यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
                                सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित।    
                                पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता 
                                वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।
                                उर्वारुक- ककड़ी।
                                इवत्र- जैसे, इस तरह।
                                बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
                                मृत्यु- मृत्यु से
                                मुक्षिया, हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
                                मात्र न
                                अमृतात- अमरता, मोक्ष।

Thursday, June 9, 2011

Krishan stuti



श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी ||
हे नाथ नारायण वासुदेव: ||
राधे कृष्ण  राधे कृष्ण ||||||

Shri Krishan govind harey murari ||
Hey nath Narayan vasu deva ||
Radhey Krishna Radhey Krishan ||


Wednesday, June 8, 2011

Surya Mantra

ॐ सुर्य: देवाय: नमो: नम: ||

Om Suray devaye namo namah ||

Tuesday, June 7, 2011

Devi Ma Vandna


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

या देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी  रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

या देवी सर्वभूतेषु सरस्वती  रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

या देवी सर्वभूतेषु सरस्वती रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

या देवी सर्वभूतेषु शान्ति रूपेण संस्थिता ||
नमस्तासेय नमस्तासेय नमो नम: ||

Ya Devi sarav bhutesu Shakti rupen sansthita ||
Nmastasey Nmastasey namo  nmah: ||

Ya Devi sarav bhutesu Ma rupen sansthita ||
Nmastasey Nmastasey namo  nmah: ||

Ya Devi sarav bhutesu shrdha rupen sansthita ||
Nmastasey Nmastasey namo  nmah: ||

Ya Devi sarav bhutesu Lakshmi rupen sansthita ||
Nmastasey Nmastasey namo  nmah: ||

Ya Devi sarav bhutesu Sarswati rupen sansthita ||
Nmastasey Nmastasey namo  nmah: ||

Ya Devi sarav bhutesu Shanti rupen sansthita ||
Nmastasey Nmastasey namo  nmah: ||


Monday, June 6, 2011

Krishan Mantra





















ॐ श्री कृष्णाय: वासुदेवाय: नमो नम: ||
हरी ॐ श्री राधा कृष्णाय: नमो नम:||


Om Shri Krishnaye Vashudevaye namo namah ||
Hari Om shri Radha Krishnaye namo namah ||

Sunday, June 5, 2011

krishan 108 Names


S.No
Name
Meaning
1
Achala
Still Lord
2
Achyuta
Infallible Lord
3
Adbhutah
Wonderful God
4
Adidev
The Lord Of The Lords
5
Aditya
The Son Of Aditi
6
Ajanma
One Who Is Limitless And Endless
7
Ajaya
The Conqueror Of Life And Death
8
Akshara
Indestructible Lord
9
Amrut
One Who Is Sweet As Nectar
10
Anaadih
One Who Is The First Cause
11
Anandsagar
Compassionate Lord
12
Ananta
The Endless Lord
13
Anantajit
Ever Victorious Lord
14
Anaya
One Who Has No Leader
15
Aniruddha
One Who Cannot Be Obstructed
16
Aparajeet
The Lord Who Cannot Be Defeated
17
Avyukta
One Who Is As Clear As Crystal
18
Balgopal
The Child Krishna, The All Attractive
19
Bali
The Lord Of Strength
20
Chaturbhuj
Four-Armed Lord
21
Danavendra
Granter Of Boons
22
Dayalu
Repositiory Of Compassion
23
Dayanidhi
The Compassionate Lord
24
Devadidev
The God Of The Gods
25
Devakinandan
Son Of Mother Devaki
26
Devesh
Lord Of The Lords
27
Dharmadhyaksha
The Lord OF Dharma
28
Dwarkapati
Lord Of Dwarka
29
Gopal
One Who Plays With The Cowherds, The Gopas
30
Gopalpriya
Lover Of Cowherds
31
Govinda
One Who Pleases The Cows, The Land And The Entire Nature
32
Gyaneshwar
The Lord Of Knowledge
33
Hari
The Lord Of Nature
34
Hiranyagarbha
The All Powerful Creator
35
Hrishikesh
The Lord Of All Senses
36
Jagadguru
Preceptor Of The Universe
37
Jagadisha
Protector Of All
38
Jagannath
Lord Of The Universe
39
Janardhana
One Who Bestows Boons On One And All
40
Jayantah
Conqueror Of All Enemies
41
Jyotiraaditya
The Resplendence Of The Sun
42
Kamalnath
The Lord Of Goddess Lakshmi
43
Kamalnayan
The Lord With Lotus Shaped Eyes
44
Kamsantak
Slayer Of Kamsa
45
Kanjalochana
The Lotus-Eyed God
46
Keshava
One Who Has Long, Black Matted Locks
47
Krishna
Dark-Complexioned Lord
48
Lakshmikantam
The Lord Of Goddess Lakshmi
49
Lokadhyaksha
Lord Of All The Three Lokas (Worlds)
50
Madan
The Lord Of Love
51
Madhava
Knowledge Filled God
52
Madhusudan
Slayer Of Demon Madhu
53
Mahendra
Lord Of Indra
54
Manmohan
All Pleasing Lord
55
Manohar
Beautiful Lord
56
Mayur
The Lord Who Has A Peacock Feathered-Crest
57
Mohan
All Attractive God
58
Murali
The Flute Playing Lord
59
Murlidhar
One Who Holds The Flute
60
Murlimanohar
The Flute Playing God
61
Nandgopala
The Son Of Nand
62
Narayana
The Refuge Of Everyone
63
Niranjana
The Unblemished Lord
64
Nirguna
Without Any Properties
65
Padmahasta
One Who Has Hands Like Lotus
66
Padmanabha
The Lord Who Has A Lotus Shaped Navel
67
Parabrahmana
The Supreme Absolute Truth
68
Paramatma
Lord Of All Beings
69
Parampurush
Supreme Personality
70
Parthasarthi
Charioteer Of Partha - Arjuna
71
Prajapati
Lord Of All Creatures
72
Punyah
Supremely Pure
73
Purshottam
The Supreme Soul
74
Ravilochana
One Who Eye Is The Sun
75
Sahasraakash
Thousand-Eyed Lord
76
Sahasrajit
One Who Vanquishes Thousands
77
Sahasrapaat
Thousand-Footed Lord
78
Sakshi
All Witnessing Lord
79
Sanatana
The Eternal Lord
80
Sarvajana
Omniscient Lord
81
Sarvapalaka
Protector Of All
82
Sarveshwar
Lord Of All Gods
83
Satyavachana
One Who Speaks Only The Truth
84
Satyavrata
The Truth Dedicated Lord
85
Shantah
Peaceful Lord
86
Shreshta
The Most Glorious Lord
87
Shrikanta
Beautiful Lord
88
Shyam
Dark-Complexioned Lord
89
Shyamsundara
Lord Of The Beautiful Evenings
90
Sudarshana
Handsome Lord
91
Sumedha
Intelligent Lord
92
Suresham
Lord Of All Demi-Gods
93
Swargapati
Lord Of Heavens
94
Trivikrama
Conqueror Of All The Three Worlds
95
Upendra
Brother Of Indra
96
Vaikunthanatha
Lord Of Vaikuntha, The Heavenly Abode
97
Vardhamaanah
The Formless Lord
98
Vasudev
All Prevailing Lord
99
Vishnu
All Prevailing Lord
100
Vishwadakshinah
Skilfull And Efficient Lord
101
Vishwakarma
Creator Of The Universe
102
Vishwamurti
Of The Form Of The Entire Universe
103
Vishwarupa
One Who Displays The Universal Form
104
Vishwatma
Soul Of The Universe
105
Vrishaparvaa
Lord Of Dharma
106
Yadavendra
King Of The Yadav Clan
107
Yogi
The Supreme Master
108
Yoginampati
Lord Of The Yogis